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जीवन संतुलन

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काम और जीवन के बीच संतुलन के लिए सलाह काम और जीवन के बीच संतुलन बनाना आपके समग्र स्वास्थ्य, संबंधों और उत्पादकता के लिए आवश्यक है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाने में मदद करेंगे: सीमाएँ निर्धारित करें 1. अपने काम के घंटे निर्धारित करें और उनका पालन करें। 2. एक अलग कार्यस्थल बनाएं और यदि संभव हो तो घर से काम न करें। 3. सप्ताहांत और छुट्टियों के दौरान काम न करने की नीति बनाएं। आत्म-देखभाल पर ध्यान दें 1. व्यायाम, ध्यान या शौक के लिए समय निर्धारित करें। 2. रात में पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) लें। 3. दिन भर में ब्रेक लेकर अपनी ऊर्जा भरें। अपना समय प्रभावी ढंग से प्रबंधित करें 1. एक प्लानर, कैलेंडर या ऐप का उपयोग करके अपने काम को व्यवस्थित करें। 2. वास्तविक लक्ष्य और समयसीमा निर्धारित करें। 3. अनावश्यक कार्यों के लिए "नहीं" कहना सीखें। नियोक्ता और प्रियजनों के साथ संवाद करें 1. लचीले काम की व्यवस्था (जैसे कि टेलीकम्यूटिंग, लचीले घंटे) पर चर्चा करें। 2. अपने परिवार और मित्रों के साथ अपनी समयसारणी साझा करें। 3. अपनी उपलब्धता की अपेक्षाएँ निर्धारित...

ओशो विचार

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 . एक प्रेमी था, वह दूर देश चला गया था। उसकी प्रियसी राह देखती रही। वर्ष आए, गए। पत्र आते थे उसके, अब आता हूं। अब आता हूं, अब आता हूं। लेकिन प्रतीक्षा लंबी होती चली गई और वह नहीं आया। फिर वह प्रियसी घबड़ा गई और एक दिन ही चल कर उस जगह पहूंच गई जहां उसका प्रेमी था। वह उसके द्वार पर पहूंच गई, द्वार खुला था। वह भीतर पहूंच गई। प्रेमी कुछ लिखता था, वह सामने ही बैठ कर देखने लगी,उसका लिखना पूरा हो जाए। प्रेमी उसी को पत्र लिख रहा था, प्रेयसी को पत्र लिख रहा था। और इतने दिन से उसने बार—बार वादा किया और टूट गया तो बहुत—बहुत क्षमाएं मांग रहा था। बहुत—बहुत प्रेम की बातें लिख रहा था, बड़े गीत और कविताएं लिख रहा था। जैसे कह अक्‍सर प्रेमी लिखते है। वह सब लिखे चला जा रहा था—एक पन् ‍ना, दो पन्‍ना, तीन पन्‍ना। प्रेमियों के पत्र पूरे तो होते ही नहीं। वे लंबे से लंबे होते चले जाते है। वह लिखते ही चला जा रहा है। उसे पता भी नहीं है कि सामने कौन बैठा है। आधी रात हो गई तब वह पत्र कहीं पूरा हुआ। उसने आँख ऊपर उठाई तो वह घबड़ा गया। समझा कि क्‍या कोई भूत—प्रेत, है। वह सामने कौन बैठा हुआ है? वह तो उसकी प्रेयसी ...

चिंतन करो, चिंता नहीं

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आज हम चिंतन के फायदे, और चिंता के नुकसान के साथ ही इन दोनो क्या अंतर है वो जानेंगे। चिंतन:~~ 1  चिंतन, से  समस्या का हल मिलता है, चिंतन जीवन जीने का मार्ग सुलभ करता है।  2  चिंतन से सफलता का रास्ता पता चलता है। 3  चिंतन ही सजीव और बुद्धिमान होने की निशानी है। 4  चिंतन मानव विकास का आधार है, इसके सहारे ही इंसानों ने अभी तक की खोजें की है। चिंता:~~ 1 चिंता से मन निराश होता है। 2 चिंता से केवल ऊर्जा खर्च होती हैं, इससे ना तो कोई परिणाम प्राप्त होता है और ना ही कोई सफलता मिलता है। 3  चिंता में, विवेक, और बुद्धि काम नही कर पाती हैं। 4  चिंता से हर तरह का विकास रुक जाता है।  चिंतन और चिंता में अंतर:~  चिंता में केवल एक ही तरह का विचार होता है। चिंता में जागरूकता और विचारशीलता खत्म हो जाती हैं। चिंता के कारण कई बार इंसान काल्पनिक अनहोनी से घबरा जाता है। जो की हुई ही नहीं है। बुद्ध कहते हैं चिंता दुखो का कारण हैं। और चिंतन सुख का कारण हैं। वही चिंतन शील इंसान  किसी समस्या को सुलझाने अथवा कोई सफलता प्राप्त करने के लिए अलग अलग दृष्टिकोण से सम...

THE GREAT TEACHER NATURE

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संसार में दो प्रकार के पेड़ पौधे होते हैं... प्रथम - अपना फल स्वयं दे देते हैं... जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि । द्वितीय - अपना फल छिपाकर रखते हैं... जैसे - आलू, अदरक, प्याज इत्यादि । जो फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं, और ऐसे वृक्ष फिर से फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं । किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाता हैं। ठीक इसी प्रकार... जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं, उनका सभी ध्यान रखते हैं और वे मान-सम्मान पाते है। वही दूसरी ओर... जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं, किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते है, अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है। प्रकृति कितना महत्वपूर्ण संदेश देती है, बस समझने, सोचने और कार्य में परिणित करने की बात है। इसलिए समाज और देश के बारे में सोचते रहो।

सुंदर मृग

♨️♨️ *रुरु एक मृग था। सोने के रंग में ढला उसका सुंदर सजीला बदन; माणिक, नीलम और पन्ने की कांति की चित्रांगता से शोभायमान था। मखमल से मुलायम उसके रेशमी बाल, आसमानी आँखें तथा तराशे स्फटिक-से उसके खुर और सींग सहज ही किसी का मन मोह लेने वाले थे। तभी तो जब भी वह वन में चौकडियाँ भरता तो उसे देखने वाला हर कोई आह भर उठता।*  ♨️♨️ *जाहिर है कि रुरु एक साधारण मृग नहीं था। उसकी अप्रतिम सुन्दरता उसकी विशेषता थी। लेकिन उससे भी बड़ी उसकी विशेषता यह थी कि वह विवेकशील था ; और मनुष्य की तरह बात-चीत करने में भी समर्थ था। पूर्व जन्म के संस्कार से उसे ज्ञात था कि मनुष्य स्वभावत: एक लोभी प्राणी है और लोभ-वश वह मानवीय करुणा का भी प्रतिकार करता आया है। फिर भी सभी प्राणियों के लिए उसकी करुणा प्रबल थी और मनुष्य उसके करुणा-भाव के लिए कोई अपवाद नहीं था। यही करुणा रुरु की सबसे बड़ी विशिष्टता थी।*  ♨️♨️ *एक दिन रुरु जब वन में स्वच्छंद विहार कर रहा था तो उसे किसी मनुष्य की चीत्कार सुनायी दी। अनुसरण करता हुआ जब वह घटना-स्थल पर पहुँचा तो उसने वहाँ की पहाड़ी नदी की धारा में एक आदमी को बहता पाया। रुरु की* *करुणा सह...

*एलियन पर वैज्ञानिको का विश्वास*

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अब तक, एक और पृथ्वी, या पृथ्वी जैसे ग्रह को खोजने का मिशन जो जीवन का समर्थन या पहले से ही समर्थन कर सकता है, वास्तव में परिणाम नहीं मिला है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी आकाशगंगा में जीवन के रूप नहीं हैं, विशेष रूप से वे जो अविश्वसनीय रूप से बुद्धिमान हैं। अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हमारी आकाशगंगा में कम से कम 36 बुद्धिमान विदेशी सभ्यताएँ हो सकती हैं। ऐसे प्रश्न जो हमेशा अनुत्तरित रह सकते हैं, जहाँ ये विदेशी सभ्यताएँ रहती हैं या रह सकती हैं, क्या हम कभी उनसे बातचीत कर पाएंगे और क्या उनमें से कुछ अतीत में मौजूद थे। नॉटिंघम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक समूह ने यह सुझाव देने के लिए एक नई "ब्रह्मांडीय विकास" आधारित गणना शुरू की कि हमारी आकाशगंगा कम से कम 36 बुद्धिमान जीवन रूपों को होस्ट करती है। नवीनतम द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में, वैज्ञानिकों का कहना है, "हमारी गणना में गेलेक्टिक स्टार गठन हिस्टरीज़, मेटैलिटी वितरण, और उनके रहने योग्य क्षेत्रों में पृथ्वी जैसे ग्रहों की मेजबानी करने वाले सितारों की संभावना शामिल है, जो विशिष्...

☸️*बुद्ध_की_शिक्षा*☸️

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एक बार तथागत बुद्ध से उनके शिष्य ने कहा कि हे बुद्ध मेरे वस्त्र बहुत पुराने व जीर्ण हो चुके है कृपया मुझे नए वस्त्र प्रदान करने की कृपा करे। बुद्ध ने अपने शिष्य की ओर देखा तो पाया कि उनके वस्त्र वाकई जीर्ण हो चुके है। तब बुद्ध ने अपने दूसरे शिष्य से,वस्त्र लाने को कहा, और अपने शिष्य को वस्त्र सौंप दिए। कुछ दिनों बाद बुद्ध का उस  शिष्य के पास जाना हुआ। तब बुद्ध ने अपने शिष्य से पूछा कि तुम्हे नए वस्त्र में कैसा लग रहा है?? क्या तुम अब इं वस्त्रों।में आराम दायक महसूस कर रहे हो। तब बुद्ध के शिष्य ने कहा हा बुद्ध। बुद्ध ने फिर पूछा कि तुमने पुराने कपड़ों का क्या किया?? शिष्य ने कहा मैने उन कपड़ों से,खिड़की के पर्दे बना लिए हे। बुद्ध:-  तुमने पुराने पर्दो का क्या किया?? शिष्य:- मैने उन पर्दो को रसोई में सफाई के लिए काम ले लिया है। बुद्ध:- तुम्हारे पुराने सफाई के कपड़े कहा हे?? शिष्य:- मैने उन सफाई के कपड़ों की बातिया बना ली। जिसमे से एक आज रात्रि को आपके कुटिया में प्रकाश मान थी मसाल के रूप में।🙏😍🤩☸️☸️☸️☸️🇮🇳🇮🇳🙏 ✍️*बुद्ध_प्रिय_मनोज_बामनिया*