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""महिला उत्थान""

समझा ‘जाति प्रथा के मकड़जाल में फंसी महिलाओं की स्थिति’ भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो आंबेडकर संभवत: पहले अध्येता रहे हैं, जिन्होंने जातीय संरचना में महिलाओं की स्थिति को जेंडर की दृष्टि से समझने की कोशिश की| उनके संपूर्ण विचार मंथन के दृष्टिकोण में सबसे महत्वपूर्ण मंथन का हिस्सा महिला सशक्तिकरण था| उन्होंने भारतवर्ष की तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनैतिक व्यवस्था का सूक्ष्म अध्ययन करके जाना कि सभी समस्या के समाधान की मूल शर्त सामाजिक न्याय और परिवर्तन की क्रांति से है, न की अन्य किसी उपाय से है| महाड़ सत्याग्रह से की महिला सशक्तिकरण की शुरुआत आंबेडकर ने अपने अध्ययन और दूरदृष्टि से यह भांप लिया था कि भारतीय महिला सवालों (शोषण, उत्पीड़न, अज्ञान, अपमान और सामाजिक विषमता) की मूल वजह कुछ और नहीं बल्कि भेदभावपूर्ण समाज व्यवस्था और शिक्षा का अभाव है| संदर्भ के तौर पर उनके जीवन के पहले आन्दोलन के रूप में महाड़ सत्याग्रह को हम महिला सशक्तिकरण की शुरुआत मान सकते है| हालांकि यह आन्दोलन पीने के पानी के संबंध में था पर महिलाओं के सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से उन्होंने आन्...