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ओशो विचार

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 . एक प्रेमी था, वह दूर देश चला गया था। उसकी प्रियसी राह देखती रही। वर्ष आए, गए। पत्र आते थे उसके, अब आता हूं। अब आता हूं, अब आता हूं। लेकिन प्रतीक्षा लंबी होती चली गई और वह नहीं आया। फिर वह प्रियसी घबड़ा गई और एक दिन ही चल कर उस जगह पहूंच गई जहां उसका प्रेमी था। वह उसके द्वार पर पहूंच गई, द्वार खुला था। वह भीतर पहूंच गई। प्रेमी कुछ लिखता था, वह सामने ही बैठ कर देखने लगी,उसका लिखना पूरा हो जाए। प्रेमी उसी को पत्र लिख रहा था, प्रेयसी को पत्र लिख रहा था। और इतने दिन से उसने बार—बार वादा किया और टूट गया तो बहुत—बहुत क्षमाएं मांग रहा था। बहुत—बहुत प्रेम की बातें लिख रहा था, बड़े गीत और कविताएं लिख रहा था। जैसे कह अक्‍सर प्रेमी लिखते है। वह सब लिखे चला जा रहा था—एक पन् ‍ना, दो पन्‍ना, तीन पन्‍ना। प्रेमियों के पत्र पूरे तो होते ही नहीं। वे लंबे से लंबे होते चले जाते है। वह लिखते ही चला जा रहा है। उसे पता भी नहीं है कि सामने कौन बैठा है। आधी रात हो गई तब वह पत्र कहीं पूरा हुआ। उसने आँख ऊपर उठाई तो वह घबड़ा गया। समझा कि क्‍या कोई भूत—प्रेत, है। वह सामने कौन बैठा हुआ है? वह तो उसकी प्रेयसी ...

चिंतन करो, चिंता नहीं

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आज हम चिंतन के फायदे, और चिंता के नुकसान के साथ ही इन दोनो क्या अंतर है वो जानेंगे। चिंतन:~~ 1  चिंतन, से  समस्या का हल मिलता है, चिंतन जीवन जीने का मार्ग सुलभ करता है।  2  चिंतन से सफलता का रास्ता पता चलता है। 3  चिंतन ही सजीव और बुद्धिमान होने की निशानी है। 4  चिंतन मानव विकास का आधार है, इसके सहारे ही इंसानों ने अभी तक की खोजें की है। चिंता:~~ 1 चिंता से मन निराश होता है। 2 चिंता से केवल ऊर्जा खर्च होती हैं, इससे ना तो कोई परिणाम प्राप्त होता है और ना ही कोई सफलता मिलता है। 3  चिंता में, विवेक, और बुद्धि काम नही कर पाती हैं। 4  चिंता से हर तरह का विकास रुक जाता है।  चिंतन और चिंता में अंतर:~  चिंता में केवल एक ही तरह का विचार होता है। चिंता में जागरूकता और विचारशीलता खत्म हो जाती हैं। चिंता के कारण कई बार इंसान काल्पनिक अनहोनी से घबरा जाता है। जो की हुई ही नहीं है। बुद्ध कहते हैं चिंता दुखो का कारण हैं। और चिंतन सुख का कारण हैं। वही चिंतन शील इंसान  किसी समस्या को सुलझाने अथवा कोई सफलता प्राप्त करने के लिए अलग अलग दृष्टिकोण से सम...

THE GREAT TEACHER NATURE

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संसार में दो प्रकार के पेड़ पौधे होते हैं... प्रथम - अपना फल स्वयं दे देते हैं... जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि । द्वितीय - अपना फल छिपाकर रखते हैं... जैसे - आलू, अदरक, प्याज इत्यादि । जो फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं, और ऐसे वृक्ष फिर से फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं । किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाता हैं। ठीक इसी प्रकार... जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं, उनका सभी ध्यान रखते हैं और वे मान-सम्मान पाते है। वही दूसरी ओर... जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं, किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते है, अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है। प्रकृति कितना महत्वपूर्ण संदेश देती है, बस समझने, सोचने और कार्य में परिणित करने की बात है। इसलिए समाज और देश के बारे में सोचते रहो।

सुंदर मृग

♨️♨️ *रुरु एक मृग था। सोने के रंग में ढला उसका सुंदर सजीला बदन; माणिक, नीलम और पन्ने की कांति की चित्रांगता से शोभायमान था। मखमल से मुलायम उसके रेशमी बाल, आसमानी आँखें तथा तराशे स्फटिक-से उसके खुर और सींग सहज ही किसी का मन मोह लेने वाले थे। तभी तो जब भी वह वन में चौकडियाँ भरता तो उसे देखने वाला हर कोई आह भर उठता।*  ♨️♨️ *जाहिर है कि रुरु एक साधारण मृग नहीं था। उसकी अप्रतिम सुन्दरता उसकी विशेषता थी। लेकिन उससे भी बड़ी उसकी विशेषता यह थी कि वह विवेकशील था ; और मनुष्य की तरह बात-चीत करने में भी समर्थ था। पूर्व जन्म के संस्कार से उसे ज्ञात था कि मनुष्य स्वभावत: एक लोभी प्राणी है और लोभ-वश वह मानवीय करुणा का भी प्रतिकार करता आया है। फिर भी सभी प्राणियों के लिए उसकी करुणा प्रबल थी और मनुष्य उसके करुणा-भाव के लिए कोई अपवाद नहीं था। यही करुणा रुरु की सबसे बड़ी विशिष्टता थी।*  ♨️♨️ *एक दिन रुरु जब वन में स्वच्छंद विहार कर रहा था तो उसे किसी मनुष्य की चीत्कार सुनायी दी। अनुसरण करता हुआ जब वह घटना-स्थल पर पहुँचा तो उसने वहाँ की पहाड़ी नदी की धारा में एक आदमी को बहता पाया। रुरु की* *करुणा सह...

*एलियन पर वैज्ञानिको का विश्वास*

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अब तक, एक और पृथ्वी, या पृथ्वी जैसे ग्रह को खोजने का मिशन जो जीवन का समर्थन या पहले से ही समर्थन कर सकता है, वास्तव में परिणाम नहीं मिला है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी आकाशगंगा में जीवन के रूप नहीं हैं, विशेष रूप से वे जो अविश्वसनीय रूप से बुद्धिमान हैं। अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हमारी आकाशगंगा में कम से कम 36 बुद्धिमान विदेशी सभ्यताएँ हो सकती हैं। ऐसे प्रश्न जो हमेशा अनुत्तरित रह सकते हैं, जहाँ ये विदेशी सभ्यताएँ रहती हैं या रह सकती हैं, क्या हम कभी उनसे बातचीत कर पाएंगे और क्या उनमें से कुछ अतीत में मौजूद थे। नॉटिंघम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक समूह ने यह सुझाव देने के लिए एक नई "ब्रह्मांडीय विकास" आधारित गणना शुरू की कि हमारी आकाशगंगा कम से कम 36 बुद्धिमान जीवन रूपों को होस्ट करती है। नवीनतम द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में, वैज्ञानिकों का कहना है, "हमारी गणना में गेलेक्टिक स्टार गठन हिस्टरीज़, मेटैलिटी वितरण, और उनके रहने योग्य क्षेत्रों में पृथ्वी जैसे ग्रहों की मेजबानी करने वाले सितारों की संभावना शामिल है, जो विशिष्...

☸️*बुद्ध_की_शिक्षा*☸️

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एक बार तथागत बुद्ध से उनके शिष्य ने कहा कि हे बुद्ध मेरे वस्त्र बहुत पुराने व जीर्ण हो चुके है कृपया मुझे नए वस्त्र प्रदान करने की कृपा करे। बुद्ध ने अपने शिष्य की ओर देखा तो पाया कि उनके वस्त्र वाकई जीर्ण हो चुके है। तब बुद्ध ने अपने दूसरे शिष्य से,वस्त्र लाने को कहा, और अपने शिष्य को वस्त्र सौंप दिए। कुछ दिनों बाद बुद्ध का उस  शिष्य के पास जाना हुआ। तब बुद्ध ने अपने शिष्य से पूछा कि तुम्हे नए वस्त्र में कैसा लग रहा है?? क्या तुम अब इं वस्त्रों।में आराम दायक महसूस कर रहे हो। तब बुद्ध के शिष्य ने कहा हा बुद्ध। बुद्ध ने फिर पूछा कि तुमने पुराने कपड़ों का क्या किया?? शिष्य ने कहा मैने उन कपड़ों से,खिड़की के पर्दे बना लिए हे। बुद्ध:-  तुमने पुराने पर्दो का क्या किया?? शिष्य:- मैने उन पर्दो को रसोई में सफाई के लिए काम ले लिया है। बुद्ध:- तुम्हारे पुराने सफाई के कपड़े कहा हे?? शिष्य:- मैने उन सफाई के कपड़ों की बातिया बना ली। जिसमे से एक आज रात्रि को आपके कुटिया में प्रकाश मान थी मसाल के रूप में।🙏😍🤩☸️☸️☸️☸️🇮🇳🇮🇳🙏 ✍️*बुद्ध_प्रिय_मनोज_बामनिया*

covid_19{को रोना }वायरस

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कोरोनावायरस  कई  वायरस  (विषाणु) प्रकारों का एक समूह है जो  स्तनधारियों  और  पक्षियों  में रोग के कारक होते हैं। यह  आरएनए वायरस  होते हैं। मानवों में यह  श्वास तंत्र संक्रमण  के कारण होते हैं, जो अधिकांश रूप से मध्यम गहनता के लेकिन कभी-कभी जानलेवा होते हैं।  गाय  और  सूअर  में यह  अतिसार  और मुर्गियों में यह ऊपरी श्वास तंत्र के रोग के कारण बनते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई  टीका (वैक्सीन)  या वायररोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए प्राणी की अपने  प्रतिरक्षा प्रणाली  पर निर्भर करता है और रोगलक्षणों (जैसे कि  निर्जलीकरण  या डीहाइड्रेशन,  ज्वर , आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे। कोरोनावायरस Coronavirus विषाणु वर्गीकरण Group: Group IV  ( (+)एसएसआरएनए ) अधिजगत : वायरस (Virus) जगत : राइबोविरिया (Riboviria) संघ : ज्ञात नहीं गण : नीडोविरालीस (Nidovirales) कुल : कोरोनाविरिडाए (Coronaviridae) उपकुल : ऑर्थोकोरोनाविरि...

""मिशन गगन यान""

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Gaganyaan Mission: अंतरिक्षयात्रियों के साथ जाएंगे भारतीय व्यंजन, पढ़ें पूरा  नई दिल्ली, एएनआइ।  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान में शामिल होने वाले एस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री) को अंतरिक्ष में घर का खाना मिलेगा। भारतीय एस्ट्रोनॉट के लिए खाने का मेन्यू तैयार कया गया है। इस मेन्यू में इडली, मूंग दाल का हलवा, एग रोल्स और वेज पुलाव शामिल है। इस खाने को मैसूर के रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। फूड हिटर्स भी ले जाएंगे अंतरिक्षयात्री इतना ही नहीं अंतरिक्षयात्रियों को खाना गर्म करने के लिए फूड हीटर्स भी उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही अंतरिक्षयात्रियों को पीने के लिए पानी और जूस दिया जाएगा। अंतरिक्ष में ग्रेवेटी नहीं होती इसलिए गगनयान मिशन जाने वाले एक विशेष कंटेनर बनाए गए है जिनमें वह आसानी से इसे ले जा सकें। जानकारी के लिए बता दें कि अंतरिक्ष यात्रियों को दिया जाने वाला ये खाना हेल्दी है और साथ ही वह एक साल तक चल सकता है। लेकिन, एक बार पैकेट खोलने के बाद उस खाने को 24 घंटे को अंदर-अंदर खत्म करना होगा। वह इसे आधा खाने का ब...

""ATTITUDE IN LIFE""

डेफिनेशन ऑफ एटिट्यूड:~~                                          एटिट्यूड हर व्यक्ति का, देखने का नजरिया है।यानी कि कोई व्यक्ति क्या सोच रहा है क्या महसुस कर रहा है? उसे जाहिर करने का तरीका है जो कि हर व्यक्ति का अलग अलग हो सकता है। ऐटिट्यूड केवल यह नहीं है कि हम क्या सोचते है,क्या महसूस करते है?, बल्कि यह हमारे काम करने के तौर तरीको के साथ ही हमारे जीवन के प्रति हमारे रवेये को भी दर्शाता है। अपने एटिट्यूड को क्यों बदले?::~~                                                   सही और अच्छा एटिट्यूड आपको फ्यूचर में सफलता दियाएगा,आजकल प्राइवेट तथा गवर्मेंट जॉब में अच्छा एटिट्यूड व्यक्ति ने देखा जा सकता है क्युकी वहीं अच्छी तरह से पॉजिटिव थिंकिंग के साथ,अच्छा प्रोडक्टिव काम कर सकता है।जिससे लाभ हो। इसके अलावा यहां समाज में आपकी इमेज भी बेहतरीन बनाता है। ऐटिट्यूड में ...

""भावनाओं में बहता हुआ इंसान ही अच्छा है......""

ओशो कहते है कि ""जो सन्त हो गया है वहाँ तो एक प्रकार से मुर्दा ही है उसके जीवन मे कोई राग, रस कुछ भी तो नही है।लोग संतो के पास बैठना इसलिए पसन्द नही करते है दूर से ही कहतें है महाराज जी प्रणाम....."" जो हजारो सालो से हमारे पुरखे सुनते आ रहे है वो ही वेदों,पुराणों की बाते हम सुनते है।इन आजकल के संतों ने नया कुछ खोजा है? खोजेंगे कैसे ये विचार शून्य जो हो गये है विचार शून्य हो गये कोई भावना,इनके ज़ेहन में नही बची,अब बात बहुत सीधी साधी है जब इनमे न विचार है,न भावनाये,तो ये हमे बिना प्रेम,दया,करुणा,और भक्ति के ढोंग से,क्या देंगे, क्या चाहते है हम इन लोगो से?? क्या ईश्वर को चाहते है? ये संत हमारी मदद करेंगे जो विचार शून्य है? भावनाओं को अंर्तमुखी कर दिया, बिना भावनाओं के कौनसा ईश्वर मिलता है भाई? हम जन सामान्य,जो विचारों से भरे हुवे है,भावनाओ का हम में संचार है तो हमे ईश्वर की खोज में,अथवा जीवन को सही तरीक़े से जीने में,किसी की क्या जरूरत है? उन्ही जातक कथाओं को सुना कर,फर्जी संत केवल हम मानवो का शोषण कर रहे है।जो खुद लोभ में आकर लाखो रुपये ले लेते है। अतः ""भा...

""महिला उत्थान""

समझा ‘जाति प्रथा के मकड़जाल में फंसी महिलाओं की स्थिति’ भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो आंबेडकर संभवत: पहले अध्येता रहे हैं, जिन्होंने जातीय संरचना में महिलाओं की स्थिति को जेंडर की दृष्टि से समझने की कोशिश की| उनके संपूर्ण विचार मंथन के दृष्टिकोण में सबसे महत्वपूर्ण मंथन का हिस्सा महिला सशक्तिकरण था| उन्होंने भारतवर्ष की तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनैतिक व्यवस्था का सूक्ष्म अध्ययन करके जाना कि सभी समस्या के समाधान की मूल शर्त सामाजिक न्याय और परिवर्तन की क्रांति से है, न की अन्य किसी उपाय से है| महाड़ सत्याग्रह से की महिला सशक्तिकरण की शुरुआत आंबेडकर ने अपने अध्ययन और दूरदृष्टि से यह भांप लिया था कि भारतीय महिला सवालों (शोषण, उत्पीड़न, अज्ञान, अपमान और सामाजिक विषमता) की मूल वजह कुछ और नहीं बल्कि भेदभावपूर्ण समाज व्यवस्था और शिक्षा का अभाव है| संदर्भ के तौर पर उनके जीवन के पहले आन्दोलन के रूप में महाड़ सत्याग्रह को हम महिला सशक्तिकरण की शुरुआत मान सकते है| हालांकि यह आन्दोलन पीने के पानी के संबंध में था पर महिलाओं के सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से उन्होंने आन्...

💝THE LOVE 💝

LOVE,प्यार ,इश्क,मोहबत नाम बहुत है पर चीज एक ही है?संभव है कि प्यार का जन्म, जीवन के विकास के साथ एक लालसा के रूप में हुआ हो।प्यार प्रकति से हो सकता है,अपने पैरेंट्स से हो सकता है,अपने दोस्तों से हो सकता है,कीसी जानवर से भी हो सकता है।पर आज हम वेलेंटाइन वीक की वजह से दो कपल्स में होने वाले प्यार का जिक्र करेंगे। प्यार क्या है??? SCIENCE~~~प्यार आई कांटेक्ट से शुरू होता है और माइंड की पिट्यूटरी ग्रंथि   में निकलने वाला love हार्मोन【【[आक्सीटोसिन-C,43,H66,N12,O12,S2] अणुभार -1007.199/MOL】】जब निरन्तर निकलता रहता है तो यह व्यक्ति में व्यहारिक परिवर्तन कर देता है। जो माइंड रसायन के रूप में खुशी की भावनाओ में शामिल है जो व्यक्ति के आत्म विस्वास को बड़ा देता है।इसकी वजह से 1 व्यक्ति की धड़कन तेज हो जाती है। 2 व्यक्ति को पसीना आता है। 3 रोम खड़े हो जाते है। 4 इंसान अपने आस पास की चीजों को भूल जाता है। 5 कुछ खास दृश्य बार बार इमेजिन होते है। आस्तिक💝~~~ प्यार ईश्वर की परछाई है जब तुम्हे किसी से प्यार हो जाता है तो तुम्हे उस व्यक्ति में अपना ईश्वर(अपना सबकुछ) नजर आने लगता है। क्योंकि परमात्मा (प...

सोशल मिडिया और आधुनिक भारत।।

भा रत के इतिहास में जातिय पर चोट~~भारत में जाति रूपी बीमारी का ईलाज बहुत कम हुआ है और अब भी इससे लड़ने की जरुरत है। पहली बार इसका विरोध जैन और बौद्ध धर्म का विकास हे परन्तु जैन ध...

N.A.M.E.=नेशनल अम्बेडकर मिशन इक्वलिटी....

हेल्लो दोस्तों ये मेरी पहली पोस्ट हे और इसका मकशद भारत में नेक और ईमानदार समाज की स्थापना के लिए कुछ मौलिक जरूरतों के बारे में बात करेंगे.. हमारे देश में दो सबसे बड़ी समस्या है पहली अशिक्षा और नैतिकता का पतन। दूसरी जातिवाद और धार्मिक कट्टरता। हम पहले पहली समस्या के बारे में बात करते हे शिक्षित होने के बावजूत हमारे समाज के मोलर वेल्यु घट रही है।इसके दो ही कारण है गरीबी और अशिक्षा। निराकरण~ इस समस्या का एक समाधान ये हे की सभी पोलिटीशय के बच्चे सरकारी स्कूल में पड़े। सभी प्रशाशनिक अधिकारी और टीचर के बच्चे सरकारी स्कूल में पड़े।   स्कुलो में सुविधा के लिए प्राइवेट कॉलेजो को लीड पर लिया जाय।। दूसरी प्रॉब्लम ये हे की जातिवाद और धार्मिक कट्टरता को कैसे ख़त्म किया जाये क्योंकि आज इन प्रॉब्लम की वजह से देश ग्रह युद्ध की और अग्रसर हो रहा है जो हमारी एकता और अखंडता के लिए खतरा बन गया है  निराकरण~~जातिवाद और धार्मिक कट्टरता को समाप्त करने के लिए हमें जाती विहीन और धर्म विहीन समाज की स्थापना की जरुरत है। ताकि हम सब केवल और केवल भारतीय बन सके। ""कुछ लोग कहते हे की में प...